राम मंदिर वास्तुकार, निर्माण शैली, मॉडल, निर्माण तकनीक एवम विशेषताएं

राम मंदिर के मुख्य वास्तुकार अहमदाबाद गुजरात के रहने वाले चंद्रकांत सोमपुरा है जिन्होंने लगभग 35 वर्ष पहले राम मंदिर का मॉडल बनाया था। चंद्रकांत सोमपुरा के बारे में जानने के लिए पूरा लेख पढ़िए।

कौन है राम मंदिर के वास्तुकार

अहमदाबाद गुजरात के रहने वाले चंद्रकांत सोमपुरा तथा उनके बेटों आशीष व निखिल सोमपुरा ने मिलकर राम मंदिर का नक्शा एवम् वास्तु तैयार किया है।

सोमपुरा परिवार को मंदिर डिजाइन करने की कला विरासत में मिली है, चंद्रकांत सोमपुरा अपने परिवार की 15 वी पीढ़ी के वास्तुकार है।

इनके पिता प्रभाकर सोमपुरा वर्तमान सोमनाथ मंदिर के वास्तुकार थे, उन्होंने सोमनाथ मंदिर के पुनर्निर्माण की डिजाइन एवम् रूपरेख को तैयार किया था।

सोमपुरा परिवार ने अब तक 200 से ज्यादा मंदिरों को डिजाइन किया है जिनमे सोमनाथ मंदिर गुजरात, बिरला मंदिर कलकत्ता एवम् मुंबई का स्वामीनारायण मंदिर आदि प्रमुख है।

आज से लगभग 35 वर्ष पहले (1988 में) राम मंदिर आंदोलन के समय विश्व हिंदू परिषद के अध्यक्ष अशोक सिंघल के कहने पर सोमपुरा ने राम मंदिर का मॉडल बनाया था।

चंद्रकांत सोमपुरा

चंद्रकांत सोमपुरा ने इस मॉडल को कुंभ मेले में साधु संतो के सामने प्रदर्शित किया था तथा साधु संतो को मंदिर का यह डिजाइन काफी पसंद आया था।

अयोध्या में निर्मित राम मंदिर को इसी मॉडल में थोड़े से बदलाव करके ज्यों का त्यों बनाया गया है, मंदिर में कुल 5 मंडप एवम् 1 गर्भगृह बनाया गया है।

राम मंदिर निर्माण शैली

राम मंदिर को उत्तर भारतीय मंदिर निर्माण शैली “नागर शैली” में बनाया गया है, नागर शैली उत्तर भारतीय मंदिर स्थापत्य कला की एक उच्चतम निर्माण शैली है।

नागर शैली में बने मंदिरों की संरचना आयताकार होती है जिसमे मुख्य देवता को बीच में एवम अन्य देवताओं को मुख्य देवता के चारो ओर स्थापित किया जाता है।

राम मंदिर मॉडल

खजुराहो के मंदिर एवम् कोणार्क का सूर्य मंदिर नागर शैली में बने मंदिरों के श्रेष्ठतम उदाहरण है, नागर शैली में बने मंदिरों में सीमेंट और लोहे का इस्तेमाल नहीं किया जाता।

प्रारंभिक नागर शैली के मंदिरों में स्तंभों का इस्तेमाल नहीं होता था लेकिन कालांतर में नागर शैली में कुछ बदलाव हुए है एवम् स्थानीय मिश्रण देखने को मिला है।

कैसे तैयार किया राम मंदिर का मॉडल

सोमपुरा का कहना है की 1988 में विवादित ढांचे को टेप से नापने की सरकार से इजाजत नहीं मिली थी इसलिए पैरो से ढांचे की लंबाई चौड़ाई नापी गई थी।

सुप्रीम कोर्ट के फैसले के बाद जब नक्शा आया तो उसमे और पैरों से नापी गई जमीन में थोड़ा ही अंतर था, फिर नई नाप के अनुसार मॉडल तैयार किया गया।

राम मंदिर अयोध्या

सुप्रीम कोर्ट के फैसले के बाद मंदिर का मॉडल बदला गया क्योंकि जिस नई आवंटित पर निर्माण कार्य होना था वह पहले से बड़ी थी, मंदिर का नया मॉडल पुराने मॉडल पर ही आधारित था।

राम मंदिर निर्माण की तकनीक

राम मंदिर का निर्माण पत्थरों को आपस में जोड़कर किया जाएगा, मंदिर निर्माण में किसी तरह के सीमेंट या स्टील का इस्तेमाल नहीं किया जाएगा।

राम मंदिर निर्माण के लिए गहरी नींव खोदी गई है जिसे भरने के लिए पत्थरों का इस्तेमाल किया गया है, मंदिर को 21 फीट ऊंचे चबूतरे पर बनाया जायेगा।

राम मंदिर निर्माण

मंदिर की कुल ऊंचाई 161 फीट, चौड़ाई 235 फीट एवम् लंबाई 360 फीट होगी, एवम मंदिर निर्माण कार्य 2.7 एकड़ क्षेत्रफल में किया जाएगा।

मंदिर निर्माण एवम् देखरेख की जिम्मेदारी L&T कंपनी को दी गई है, कंपनी के द्वारा मंदिर निर्माण एवम् देखरेख के लिए कोई राशि नहीं वसूली जाएगी।

मंदिर का निर्माण राजस्थान के भरतपुर जिले के बंसी पहाड़पुर गांव से निकलने वाले गुलाबी पत्थर से किया जायेगा। पूरी तरह पत्थर से बना होने के कारण मंदिर की आयु 1000 वर्षों से अधिक आंकी जा रही है

राम मंदिर की विशेषताएं

राम मंदिर में कुल 392 खंभे होंगे एवम् प्रत्येक खंबे पर 16 मूर्तियां बनाई गई है, मंदिर में कुल 44 द्वार होगे तथा मंदिर 3 मंजिला होगा।

मंदिर के नीचे 14 मीटर गहरी कांक्रीट की चट्टान बनाई गई है जो मंदिर को बाढ़, भूकंप एवम नमी से बचाए रखने में मदद करेगी।

मंदिर के चारो ओर 14 फीट चौड़ी आयताकार दीवार बनाई जाएगी जिसकी कुल लंबाई 732 मीटर होगी एवम् इसके चारो कोनो पर चार मंदिर बनाए जायेंगे।

राम मंदिर के लिए 25000 की क्षमता वाला दर्शनार्थी सुविधा केंद्र बनाया जा रहा जिसमे दर्शनार्थी अपने मोबाइल एवम अन्य कीमती सामान रख कर दर्शन करने जा सकेंगे।

मंदिर में कुल 5 मंडप होंगे, मंदिर के गर्भगृह में रामलला का बालरूप एवम् प्रथम तल पर राम दरबार होगा, सभी दीवारों पर देवी देवताओं की मूर्तियां उकेरी जायेगी।

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