राम मंदिर किसने तोड़ा था? राम मंदिर से पहले क्या था? अयोध्या का पुराना नाम एवम राम मंदिर से जुड़ी आवश्यक जानकारियां।

राम मंदिर को तोड़कर 1528 में बाबरी मस्जिद का निर्माण किया गया, राम मंदिर को तोड़ने का आदेश किसने दिया था? तथा किसने मस्जिद का निर्माण किया? जानने के लिए पूरा लेख पढ़े।

राम मंदिर किसने तोड़ा था?

बाबरनामा के अनुसार मुगल बादशाह बाबर ने अपने सेनापति मीर बाकी को सन् 1528 में अयोध्या में मस्जिद बनाने का आदेश दिया था। इतिहासकारों के अनुसार इस स्थान पर रामकोट या राम का किला था जिसे श्री राम का जन्म स्थान माना जाता था, यहां पर ही प्राचीन राम मंदिर स्थित था।

मुगल साम्राज्य की स्थापना के बाद बाबर ने भारत में अपने धर्म का विस्तार करने का प्रयास किया जिसके तहत उत्तर भारत में हिंदुओ के मंदिरों को गिराया गया जिनमे राम जन्मभूमि एक प्रमुख स्थान था। हिंदू धर्म में विश्वास रखने वाले लोगों के मन में राम मंदिर गिराने के लिए द्वेष था लेकिन साम्राज्य की ताकत के आगे वे कुछ कर न सके।

राम मंदिर की जगह पहले क्या था?

विवादित स्थान पर प्राचीन काल से ही राम जन्मभूमि एवम् राम मंदिर था, जिसे बाबर द्वारा तुड़वाकर मस्जिद बना दी गई। मस्जिद होने का सबसे पहला प्रमाण 1762 में लिखी गई लेटिन किताब डिस्क्रिप्टियो इंडिया में मिलता है, इस से पहले रचित सभी हिंदू ग्रंथो के अनुसार अयोध्या को राम जन्मभूमि माना गया है।

विवादित स्थान

6 दिसंबर 1992 को विश्व हिंदू परिषद के 1 लाख से अधिक स्वयंसेवकों (जिन्हें कारसेवक भी कहा जाता है) ने अयोध्या में इकट्ठा होकर मस्जिद को गिरा दिया था। वर्ष 1978 एवम् 2003 में 2 बार भारतीय पुरातात्विक सर्वेक्षण विभाग द्वारा विवादित स्थान की खुदाई की गई जिसमे मस्जिद का निर्माण राम मंदिर के ऊपर किए जाने के सबूत मिले है।

अयोध्या का पुराना नाम क्या है?

अयोध्या को समय-समय पर अलग-अलग नामों से जाना गया, हिंदू महाकाव्य रामायण के अनुसार अयोध्या की स्थापना मनु ने की थी। रामायण काल में इसे कौशल प्रदेश के नाम से जाना जाता था एवम् यह सूर्यवंश की राजधानी थी।

बौद्ध काल में सरयू नदी के उत्तरी इलाके को साकेत के नाम से तथा सरयू नदी के दक्षिणी इलाके को श्रावस्ती के नाम से जाना जाता था। बाद में इसे अवध एवम् अयोध्या के नाम से जाना गया। वाल्मीकि द्वारा रचित रामायण मे भी इस क्षेत्र को अयुद्धा या अयोध्या कहा गया है

राम मंदिर का ठेकेदार कौन है

राम मंदिर के निर्माण कार्य एवम् रखरखाव की जिम्मेदारी लार्सन & टुब्रो (L&T) कंपनी को दी गई है, इसलिए राम मंदिर की ठेकेदार L&T कंपनी है। मंदिर निर्माण के लिए L&T कंपनी के द्वारा कोई राशि वसूल नहीं की गई है।

मंदिर का वास्तुकार अहमदाबाद गुजरात के रहने वाले चंद्रकांत सोमपुरा है। इनको मंदिर डिजाइन की कला विरासत में मिली है, ये अपने परिवार की 15 वी पीढ़ी के वास्तुकार है। सोमपुरा परिवार ने गुजरात के सोमनाथ मंदिर मुंबई के स्वामीनारायण, कोलकाता के बिरला मंदिर आदि कई प्रमुख मंदिरों को डिजाइन किया है।

रामलला मूर्ति के शिल्पकार मैसूर कर्नाटक के रहने वाले अरुण योगिराज है, इन्होंने रामलाला की मूर्ति का निर्माण 6 महीने एकांत में रहकर किया है। इन्होंने भी अपने परिवार की मूर्ति बनाने की कला को आगे बढ़ाया है। इनके पिता योगिराज कर्नाटक के जाने माने मूर्तिकार है।

राम मंदिर को सबसे ज्यादा किसने दान किया?

गुजरात के हीरा कारोबारी दिलीप कुमार ने राम मंदिर के लिए 101 किलो सोना दान दिया है जिसकी कीमत 68 करोड़ रुपए के लगभग है।

राम मंदिर निर्माण के लिए प्रसिद्ध संत मुरारी बापू ने सबसे ज्यादा 11.3 करोड़ रुपए दान किए है एवम् इनके अनुयाइयों ने भी लगभग 8 करोड़ रुपए मंदिर को दान किए है।

गोविंद भाई ढोलकिया जो की गुजरात के प्रसिद्ध हीरा कारोबारी है, इन्होंने राम मंदिर के लिए 11 करोड़ रुपए का दान दिया है।

गुजरात के कारोबारी मुकेश पटेल ने रामलला के लिए 11 करोड़ रुपए कीमत वाला मुकुट दान दिया है।

पटना के महावीर मंदिर ने 10 करोड़ रुपए तथा सोने से बने हुए धनुष बाण मंदिर को दान दिए है।

भारत के सबसे बड़े कारोबारी मुकेश अंबानी ने राम मंदिर प्राण प्रतिष्ठा के दौरान मंदिर को 2.51 करोड़ रुपए दान किए।

राम मंदिर को कुल 5000 करोड़ रुपए से ज्यादा का दान प्राप्त हुआ है जिसमे से 1800 करोड़ रुपयों का इस्तेमाल राम मंदिर निर्माण के लिए किया जा रहा है।

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